
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, आधुनिक चिकित्सा पद्धति में एक क्रांतिकारी तकनीक है जो सर्जिकल प्रक्रियाओं में एक महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती है। यह न्यूनतम इनवेसिव तकनीक, जिसे कीहोल सर्जरी (Keyhole Surgery) भी कहा जाता है, न केवल चिकित्सा विज्ञान की उन्नति का प्रतीक है, बल्कि उन माता-पिता के लिए भी एक आशा की किरण है जो अपने बच्चों के लिए कम दर्द और तेज़ रिकवरी की तलाश कर रहे हैं।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का मुख्य उद्देश्य चीरों को कम करना है, जिससे शरीर को कम शारीरिक आघात पहुंचे और पारंपरिक सर्जरी के दौरान होने वाले मानसिक तनाव को भी कम किया जा सके।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या है?
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, पारंपरिक सर्जरी की तुलना में एक नवीन दृष्टिकोण प्रदान करती है। इसमें एक लंबी, पतली दूरबीन जैसी संरचना (Laparoscope) का उपयोग किया जाता है, जिसके सिरे पर एक कैमरा लगा होता है।
पारंपरिक सर्जरी में जहां बड़े चीरे लगाए जाते हैं, वहीं लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में केवल 2 से 4 छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जो आधे इंच से भी कम होते हैं। छोटे बच्चों के लिए तो यह चीरा मात्र 3 मिमी का भी हो सकता है।
इस अत्याधुनिक तकनीक से आंतरिक अंगों का विस्तृत दृश्य प्राप्त किया जाता है, जिससे न केवल दर्द कम होता है, बल्कि रिकवरी भी तेज़ होती है और समग्र परिणाम बेहतर होते हैं।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, जिसे न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी (Minimally Invasive Surgery) भी कहा जाता है, ने हाल के दशकों में सर्जिकल चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। यह पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कई लाभ प्रदान करती है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख लाभ:
1) तेज़ रिकवरी टाइम:
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में रिकवरी का समय बहुत कम होता है।
छोटे चीरे और कम ऊतक क्षति के कारण, घाव जल्दी भरता है और बच्चे जल्दी सामान्य गतिविधियों में लौट सकते हैं।
2) कम पोस्ट-ऑपरेटिव दर्द और असुविधा:
छोटे चीरे होने की वजह से बच्चों को कम दर्द महसूस होता है और उन्हें कम दर्द निवारक दवाओं की आवश्यकता होती है।
यह तकनीक मांसपेशियों और ऊतकों को कम नुकसान पहुंचाती है, जिससे रिकवरी का अनुभव अधिक आरामदायक होता है।
3) न्यूनतम निशान:
ओपन सर्जरी की तुलना में, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद बहुत छोटे और हल्के निशान रह जाते हैं, जो समय के साथ लगभग अदृश्य हो जाते हैं।
बच्चों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि बड़े निशान उनकी पूरी जिंदगी के लिए एक यादगार बन सकते हैं।
4) जटिलताओं का कम जोखिम:
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में संक्रमण, रक्तस्राव और अन्य जटिलताओं का खतरा बहुत कम होता है, जिससे यह एक सुरक्षित विकल्प बन जाता है।
5) कम अस्पताल में रहने की अवधि:
इस तकनीक के कारण बच्चे अस्पताल में कम समय बिताते हैं, जिससे माता-पिता को भी जल्दी घर लौटने और अपने काम पर ध्यान देने का अवसर मिलता है।
6) बेहतर दृश्यता:
सर्जरी के दौरान, लेप्रोस्कोप में लगा हुआ कैमरा सर्जन को आंतरिक अंगों का हाई-डेफिनिशन व्यू प्रदान करता है, जिससे सटीक और प्रभावी सर्जरी संभव होती है।
7) बहुपयोगी तकनीक:
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का उपयोग कई प्रकार की शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में किया जाता है, जैसे:
- बाल चिकित्सा मूत्र रोग (Paediatric Urology)
- पाचन तंत्र सर्जरी (Gastrointestinal Surgery)
- बाल चिकित्सा थोरैकोस्कोपिक सर्जरी (Thoracoscopic Surgery)
लेप्रोस्कोपी के बाद हीलिंग टाइम
अधिकांश मामलों में, बच्चे 24 घंटे के भीतर घर लौट सकते हैं। पूर्ण रिकवरी का समय आमतौर पर 2 से 3 सप्ताह होता है।
शुरुआत में, चीरे के स्थान पर हल्का दर्द महसूस हो सकता है, लेकिन डॉक्टर द्वारा दी गई दर्द निवारक दवाओं से यह कुछ दिनों में ठीक हो जाता है।
लेप्रोस्कोपिक पाइलोप्लास्टी (Laparoscopic Pyeloplasty)
यह सबसे आम लेप्रोस्कोपिक प्रक्रियाओं में से एक है, जो पेल्विउरेटरिक जंक्शन ऑब्स्ट्रक्शन (PUJO) को ठीक करने के लिए की जाती है।
पहले यह सर्जरी पारंपरिक ओपन तकनीक से की जाती थी, जिसमें बड़े चीरे और लंबी रिकवरी अवधि की आवश्यकता होती थी। लेकिन लेप्रोस्कोपिक तकनीक के कारण अब यह छोटे चीरे के माध्यम से की जा सकती है, जिससे दर्द कम होता है और अस्पताल में रहने का समय घट जाता है।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के दौरान क्या होता है?
सर्जरी के दौरान बच्चे को बेहोश करने के लिए जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। फिर सर्जन नाभि के पास एक छोटा चीरा बनाते हैं और एक ट्यूब डालकर पेट में गैस भरते हैं।
यह गैस पेट के अंदरूनी हिस्से को फैलाने में मदद करती है, जिससे अंगों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसके बाद, सर्जन लेप्रोस्कोप डालते हैं और छोटे उपकरणों की मदद से आवश्यक सर्जरी करते हैं।
प्रक्रिया पूरी होने के बाद गैस को निकाल दिया जाता है और चीरे को बंद कर दिया जाता है। यह सर्जरी आमतौर पर 30 मिनट से 3 घंटे तक चल सकती है।
बच्चों में किए जाने वाले सामान्य लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन:
- न महसूस होने वाला अंडकोष (Impalpable Undescended Testis)
- पेल्विउरेटरिक जंक्शन ऑब्स्ट्रक्शन (PUJO) के लिए लेप्रोस्कोपिक पाइलोप्लास्टी
- बाल चिकित्सा हर्निया
- बाल चिकित्सा अपेंडेक्टोमी (Appendectomy)
- वेसिकोयूरेटेरल रिफ्लक्स (VUR) की सर्जरी
- हिर्शस्प्रंग रोग (Hirschsprung’s Disease) की सर्जरी
- बाल चिकित्सा गॉलब्लैडर सर्जरी
- बाल चिकित्सा डिम्बग्रंथि सिस्ट सर्जरी
- मीकेल के डायवर्टिकुलम (Meckel’s Diverticulum) के लिए लेप्रोस्कोपी
निष्कर्ष
बच्चों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम दर्द और तेज़ रिकवरी प्रदान करती है। यह बच्चों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1.लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कितने समय तक चलती है?
यह सर्जरी आमतौर पर 30 मिनट से 3 घंटे तक की होती है, यह निर्भर करता है कि कौन सा ऑपरेशन किया जा रहा है।
2.क्या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी सभी के लिए उपयुक्त है?
अधिकतर मरीजों के लिए यह एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है, लेकिन कुछ मामलों में डॉक्टर ओपन सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
3.क्या इस सर्जरी के बाद निशान रह जाते हैं?
बहुत छोटे चीरे होने के कारण निशान न के बराबर होते हैं और समय के साथ हल्के हो जाते हैं।
4.क्या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी महंगी होती है?
पारंपरिक सर्जरी की तुलना में यह थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन कम अस्पताल प्रवास और तेज़ रिकवरी के कारण यह लागत प्रभावी साबित होता है।
5.क्या बच्चों के लिए भी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी सुरक्षित है?
हां, यह बच्चों के लिए भी सुरक्षित और प्रभावी है। बच्चों के लिए छोटे उपकरणों का उपयोग किया जाता है जिससे सर्जरी के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके।
6.क्या लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के बाद विशेष देखभाल की जरूरत होती है?
सर्जरी के बाद हल्की देखभाल की जरूरत होती है, जैसे भारी वस्तुएं न उठाना, संतुलित आहार लेना और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना है।